जिस्म मे घुघरूओ की रून झु
मेरे जिस्म में, घुंघरूओं की, रून झुन,बज जाती है मेरे दोनों हाथों में, तितलियाँ अपने पंखों के रंग बिखराकर उङ जाती हैं, उनके पंखों से, मेरे हाथों में मेहंदी लग जाती है। धूप मे जलता हुआ, नीला आसमाँन, शायद, फिर मेरी ज़मी पर, उतर आया है आफ़ताब, इधर से उधर गश्त करता करता है, माहताब … Read more